Saturday, October 25, 2025
Home शिक्षा झारखंड सुप्रीमो पूर्व सीएम शिबू सोरेन का निधन…पीएम मोदी समेत दिग्गज नेताओं ने दी श्रद्धांजलि… संघर्ष के एक युग का हुआ अंत..38 सालों तक की प्रदेश की सेवा…

झारखंड सुप्रीमो पूर्व सीएम शिबू सोरेन का निधन…पीएम मोदी समेत दिग्गज नेताओं ने दी श्रद्धांजलि… संघर्ष के एक युग का हुआ अंत..38 सालों तक की प्रदेश की सेवा…

by Surendra Chauhan

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन का निधन हो गया। 81 वर्षीय नेता ने सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता के निधन की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी।

किडनी की समस्या और लाइफ सपोर्ट पर थे शिबू सोरेन

शिबू सोरेन को किडनी संबंधी समस्याओं के कारण पिछले महीने दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके स्वास्थ्य में गंभीर गिरावट आने के बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था। अस्पताल द्वारा जारी बयान में कहा गया कि शिबू सोरेन को सुबह 8:56 बजे मृत घोषित किया गया। डेढ़ महीने पहले उन्हें स्ट्रोक भी आया था, और पिछले एक महीने से वह आईसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में थे। लेकिन अंततः उनका जीवन नहीं बचाया जा सका।

प्रधानमंत्री मोदी ने शोक व्यक्त किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने इस दुख की घड़ी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी बात की और संवेदनाएं प्रकट कीं। हेमंत सोरेन ने एक्स पर लिखा,

“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं…”

शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर

शिबू सोरेन झारखंड राज्य के लिए एक प्रमुख नेता रहे हैं। उन्होंने 38 वर्षों से ज्यादा समय तक झारखंड मुक्ति मोर्चा का नेतृत्व किया और राज्य के गठन के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया। वह तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।

पहली बार 2 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण उन्हें 12 मार्च को इस्तीफा देना पड़ा।

दूसरी बार 27 अगस्त 2008 को मुख्यमंत्री बने और 19 जनवरी 2009 तक इस पद पर रहे।

तीसरी बार 30 दिसंबर 2009 को मुख्यमंत्री बने और 1 जून 2010 तक पद संभाला।

संसदीय राजनीति में भी शिबू सोरेन का योगदान

शिबू सोरेन ने 8 बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा में सांसद के रूप में देश की सेवा की। केंद्रीय मंत्री के रूप में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। झारखंड की राजनीति में उन्हें “दिशोम गुरु” के नाम से जाना जाता था, और उनकी छवि न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण हस्ती के रूप में रही।

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