Friday, October 18, 2024
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रायगढ़ विधानसभा दो चेहरों पर आकर ठिठक गई भाजपा हाईकमान की नजर।पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी या फिर पूर्व विधायक विजय अग्रवाल। दोनों ही राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी। पढ़िये पूरी रिपोर्ट….

by Surendra Chauhan

रायगढ़। विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहा है,ठीक वैसे ही तैयारियां भी परवान चढ़ने लगी है।राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी अपने अपने तरकश से तीर निकालने लगे है। जिक्र रायगढ़ जिले के पांचों विधानसभा का करें जिसमें कांग्रेस ने तो अपने पत्ते खोले रखा है,लेकिन भाजपा की ओर से अब तक सिर्फ रणनीति बनाने को अहम दिया गया है। उम्मीदवारों को लेकर कोई जल्दबाजी नही कर रही है। लेकिन इतना जरूर है कि आलाकमान अंदरूनी तहखाने में लगातार उन चेहरों को लेकर मंथन कर रही है,जो शतप्रतिशत जीत की गारंटी दे। इसी मद्देनजर सूत्र बताते है कि जिले के अहम सीट माने जाने वाले रायगढ़ विधानसभा के लिए हाईकमान की नजरें दो चेहरों पर जाकर अटक गई है। पहले पूर्व विधायक और कद्दावर नेता विजय अग्रवाल तो दूसरे पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी । ये दो चेहरे ऐसे है जो अपनी पार्टी को जीत दिलाने का दम रखते है। यही वजह है कि इन दोनों चेहरों को ही फोकस कर रणनीति को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। हालांकि इसमें ओपी चौधरौ को लेकर संशय बना हुआ है। इसके पीछे उनका स्थानीय न होना सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।खासकर जिस तरह से पिछले चुनाव में पूर्व कलेक्टर की हार खरसिया विधानसभा में हुई है।उससे पसोपेश की स्थिनी देखी जा रही है। अगर उन्हें खरसिया छोड़ रायगढ़ से आजमाया जाता है तो निःसंदेह जनता के बीच उनकी छवि रणछोड़ की बनेगी।फिर खरसिया से रायगढ़ आने की वजह भी स्पष्ट करना होगा।। लेकिन फिर भी उनकी स्टार छवि चमकदार है, जिससे पार्टी भली भांति वाकिफ है।

स्टार प्रचारक है ओपी चौधरी

मौजूदा समय मे अगर देखे तो रायगढ़ जिले में भाजपा के सबसे बड़े और दमदार नेता पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी ही है। रायगढ़ से लेकर राजधानी और रायपुर से लेकर दिल्ली तक उनकी पकड़ सबसे अधिक प्रभावी है। इसके अलावा युवा वर्ग में उनका क्रेज भी यूथ आइकॉन की है। भाजपा पूर्व कलेक्टर की इसी इमेज बतौर स्टार प्रचारक के रूप में इस्तेमाल भी कर रहा है। जबकि केबिनेट मंत्री उमेश पटेल के सामने पराजय का स्वाद चखा था। बावजूद इसके उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नही है । आलम तो यह है कि खरसिया विधानसभा के भाजपाई कार्यकर्ता आमतौर से अपनी हरेक बैठक में इस बार भी ओपी चौधरी बतौर उम्मीदवार बनाना चाहते है। बकायदा इसके लिए कार्यकर्ताओं ने हस्ताक्षर अभियान भी छेड़ रखा है।

किस्मत का विजय कनेक्शन
किस्मत के मामले में विजय अग्रवाल सबसे आगे है।वर्ष 2003 में रायगढ़ विधानसभा के लिए जशपुर घराने के क़द्दावर नेता राजा रणविजय सिंह जूदेव का नाम लगभग फाइनल हो चुका था। शेष सिर्फ उम्मीदवार के नाम की औपचारिक घोषणा ही बाकी थी। स्थिति यह थी कि राजा साहब ने बाकायदा अपना लंगर डालते हुए डोर टू डोर चुनावी प्रचार भी शुरू कर दिया।लेकिन जनता का मूड भांपने के बाद ऐन वक्त पर उन्होंने रायगढ़ से किनारा करना ही उचित समझा। ऐसी परिस्थितियों में एक शसक्त लोकप्रिय उम्मीदवार की खोज करना और फिर उसे उस समय के अजेय विधायक कृष्ण कुमार गुप्ता के सामने खड़े करना सबसे बड़ी चुनौती थी। क्योंकि दौर कांग्रेस का था हर कोई पूर्व मंत्री श्री गुप्ता की जीत को लेकर आश्वस्त था।इन झंझावातों के बीच किस्मत ने बाजी मारी। और न सिर्फ विजय अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया गया बल्कि जीत का सेहरा भी विजय के सिर पर ही बंधा। । जबकि 2008 में इनके हिस्से पराजय भी शामिल है। बावजूद इसके विजय की लोकप्रियता और सक्रियता में कोई कमी नही आई है। इसका नजारा पिछले चुनाव में देखने को मिला जब बतौर निर्दलीय प्रत्याशी लड़ते हुए सत्ता और विपक्ष को अपने बलबूते कड़ी चुनौती दी। यही वजह है कि संगठन लगातर मंथन में है। लिहाजा ऐसी स्थिति में रायगढ़ विधानसभा से भाजपा विजय अग्रवाल को उम्मीदवार घोषित कर दे तो कोई आश्चर्य नही होगा।

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