Thursday, November 21, 2024
Home राजनीति दिल्ली दरबार में गूंजा ओपी चौधरी,विजय अग्रवाल के साथ सुनील रामदास का नाम।।रायगढ़ विधानसभा में दावेदारों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला। रायगढ़ विधानसभा में उम्मीदवार के लिए काउंट डाउन शुरू…पढ़िये पूरी रिपोर्ट

दिल्ली दरबार में गूंजा ओपी चौधरी,विजय अग्रवाल के साथ सुनील रामदास का नाम।।रायगढ़ विधानसभा में दावेदारों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला। रायगढ़ विधानसभा में उम्मीदवार के लिए काउंट डाउन शुरू…पढ़िये पूरी रिपोर्ट

by Surendra Chauhan

रायगढ़।। खरसिया विधानसभा के उम्मीदवार की घोषणा होते ही अब सबकी नजर रायगढ़ विधानसभा पर जा टिकी है। हाईप्रोफाईल माने जाने वाली इस सीट पर वैसे तो एक दर्जन दावेदार है,लेकिन जिस तरह से खरसिया विधानसभा में तमाम अटकलों को विराम देते हुए महेश साहू को उम्मीदवार बनाया गया है।वह चौकाने वाला है।चौकना लाजिमी इसलिए है क्योंकि बहुप्रतीक्षित माने जाने वाले इस सीट पर पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी की उम्मीदवारी को पुख्ता माना जा रहा था।मगर अचानक से जैसी रणनीति को अमलीजामा पहनाया गया है, उसने राजनीति के पंडितों को भी गहरे मंथन में डाल दिया है।अब वे विचार करने पर विवश हो गए है कि कही ओपी चौधरी को रायगढ़ से तो आजमाया नहीं जा सकता। अटकलों और सम्भवनाओं का बाजार गर्म है। हर तरफ चर्चाएं आम है।इस बीच राजधानी दिल्ली में बीजेपी की हुई अहम बैठक में ओपी चौधरी के अलावा पूर्व विधायक विजय अग्रवाल के साथ साथ जिस नाम ने हैरत में डाला है वह नाम सुनील रामदास का है। धार्मिक औऱ सामाजिक गतिविधियों से हमेशा जुड़े रहने वाले सुनील रामदास की ख्याति बिजनेस टाइकून की है। राजधानी से रायगढ़ तक उनकी पकड़ से वाकिफ हर कोई है। लिहाजा ऐसे में घमासान मचना लाजिमी है।

पासा पलट सकते है सुनील
सुनील रामदास जिले में यह नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। और सिर्फ जिला ही क्यों बल्कि प्रदेश भर में जिस तरह से धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में इनकी भूमिका रही उससे वे लगातार चर्चित होते जा रहें है। चाहे फिर वह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की नजदीकियों की बात हो या फिर राष्ट्रीय स्वम् संघ के साथ निकटता।इसके अलावा व्यापारिक जोन में उनका अपना एक अलग ही वजूद है। मौजूदा समय में वे राममंदिर रायपुर के उपाध्यक्ष है जोकि उनकी शख्सियत को बयां करता है। पिछले 10 सालों से लगातार वे दावेदारी कर रहें है,लेकिन विजय और रौशन खेमा के फ्रंट में रहने के कारण उन्हें तीसरा स्थान से संतोष करना पड़ा है। हालांकि इस बार परिस्थितियों में काफी बदलाव है। लेकिन इस बार भी सिर्फ तीन नामों की ही चर्चा है जिसमें ओपी चौधरी,विजय अग्रवाल के बाद सुनील रामदास की दावेदारी में भी काफी दमदारी दिख रही है। लिहाजा इस एन केन कुछ हुआ तो सुनील के पक्ष में पासा पलट सकता है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता।

आसान नही रायगढ़
रायगढ़ विधानसभा की राह आसान नहीं है। पथरीले और कांटो से अटे पड़े रास्ते पर किसकी दावेदारी पर मुहर लगेगी।यह कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन जिस तरह से पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी,विजय अग्रवाल और सुनील रामदास ने दमदारी दिखाई है,उससे रायगढ़ में पहली बार दावेदारी को लेकर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। क्योंकि तीनों दावेदारों की गिनती करिश्माई नेता के रूप में है। सक्रियता के मामले में भी तीनों उन्नीस बीस है। पूर्व विधायक जंहा अपनी सक्रियता और जनसंपर्क का दम दिखा रहे है तो वही पूर्व कलेक्टर की यूथ आइकॉन की छबि भी काफी प्रभावी है। इसके अलावा सुनील रामदास के साथ आरएसएस का साथ उनकी दावेदारी में वजन को बढ़ाने का कार्य कर रहा है। बहरहाल दिलचस्प मुकाबले ने सियासी गलियारों के साथ साथ आम लोगों की धड़कनों को भी तेज कर दिया है।

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