
बदलता छत्तीसगढ़।रायगढ़। नहरपाली के जेएसडब्ल्यू प्लांट के खिलाफ धीरे धीरे सही लेकिन अब आक्रोश की चिंगारी भड़कने लगी है।कारखाने का रिकार्ड प्रॉडक्शन और बम्फर मुनाफा होने के बावजूद इंड्रस्ट्रीयल जोन के अंतर्गत आने वाले तमाम गांव मूलभूत समस्याओं को लेकर जद्दोजहद कर रहे है।गांव के शिक्षित बेरोजगार युवा बेरोजगारी की मार से जूझ रहे है।जबकि उनके सामने कम्पनी मैनेजमेंट आउटसोर्सिंग पर जोर देते हुए दूसरे प्रान्तों से आने वालों को थोक में रोजगार परोस रहे है। प्रबंधन की इस दोहरी वादाखिलाफी वाली नीति ने अपने अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहे ग्रामीणों के साथ साथ जनप्रतिनिधियों को भी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने पर विवश कर दिया है। यही वजह है कि सब्र का बांध छलकने के बाद प्लांट से प्रभावित हो रहे हरेक गांवों में आंदोलन को लेकर न सिर्फ रूप रेखा बनने लगी है बल्कि बकायदा बैठकों का दौर भी शुरू हो चुका है। आगामी 28 अप्रैल दिन सोमवार को आंदोलन की तिथि मुकर्रर की गई है। हालांकि आंदोलन को कुचलने और उसे रोकने प्रबंधन साम दाम दंड की नीति का इस्तेमाल कर रहा है।लेकिन जिस तरह से ग्रामीण इस दफे प्लांट की नीति और रवैये के खिलाफ आक्रोशित है उसे देख नही लगता कि प्लांट प्रबंधन की दाल गलने वाली है।। आंदोलनकारियो ने सोमवार 28 अप्रैल को हड़ताल के समर्थन के लिए प्रभावित ग्रामीणों को धरना स्थल पर पहुचने और समर्थन का आह्वान किया है।इसी के साथ ही प्रदर्शन के दिन नहरपाली की सभी दुकानों को भी समर्थन के लिए बंद करने की विनती की है।