Friday, September 5, 2025
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जेएसडब्ल्यू आंदोलन…बनी सहमति…प्रबंधन ने आंदोलनकारियों की मांगें मानी…22 अगस्त तक दिया अल्टीमेटम…. लैंड लूजर को मिलेगी कंपनी में नौकरी…त्रिपक्षीय वार्ता में बनी सहमति..भाजपा और कांग्रेस दोनों का मिला साथ…वायदा पूरा करने कंपनी पर बढ़ा दबाव….

by Surendra Chauhan

बदलता छत्तीसगढ़।रायगढ़

लैंड लूजर द्वारा जमीन के बदले नौकरी की मांग को लेकर किये जा रहे कामरोको आंदोलन का सुखद पटाक्षेप प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद हो गया। 22 अगस्त तक मांगो को पूरा करने कंपनी प्रबंधन ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है।बता दे खरसिया विकासखण्ड के नहरपाली स्थित जेएसडब्ल्यू स्टील के पूर्व मोंनेट इस्पात द्वारा कंपनी स्थापना के लिए 2004 और 2012 में दो चरण के तहत जमीनों को अधिग्रहण किया गया था। अधिग्रहण करते समय आदर्श पुर्नवास का पालन और भू स्वामियो को कंपनी में पक्की नौकरी की घोषणा की गई थी। इस बीच 50प्रतिशत लोगों को रोजगार तो उपलब्ध करा दी गई थी,लेकिन 50 फीसदी लोगों के अधिकार को एक तरह नजरअंदाज कर दिया गया था। अपने अधिकार से वंचित लोग प्रदर्शम करते रहे,मगर प्रभावितों को उनका हक नही मिल पाया। वर्ष 2023 के बाद जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी बड़ी कंपनी ने फैक्ट्री को टेक ओवर किया। उम्मीद जगी की अब क्षेत्र के विकास के साथ ही प्रभावितों को रोजगार आसानी से उपलब्ध होगा।लेकिन स्टील निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाली इस कम्पनी का रवैया भी कारपोरेट जगत की अन्य कम्पनियों की तरह रहा। ऐसे में जमीन दे चुके लोगों के पास आंदोलन के सिवा अन्य कोई विकल्प शेष न था।

टूटा भरोसा,की वादाखिलाफी

जून महीने के अंतिम सप्ताह में अधिकार से वंचित भू स्वामियो ने कामरोको आंदोलन किया था।जिसमे कंपनी प्रबंधन द्वारा प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद 31 जुलाई तक प्रभवितो को नौकरी देने की बात कही गई थी।लेकिन तय मियाद गुजर जाने के बाद भी प्राभवितो को म तो नौकरी मिली और न ही उनके अधिकारों की रक्षा को लेकर पहल हुई। कंपनी की इस वादाखिलाफी के बाद प्राभवित आक्रोशित हो गए।अब उनके पास आंदोलन के सिवा अन्य कोई विकल्प शेष न था।।

अब मिली 22 अगस्त तक का अल्टीमेटम

जेएसडब्ल्यू प्रबंधन द्वारा इस बार पात्र और अपात्र का शिगूफा छोड़ा गया है। अब तक 131 लैंड लूजर की सूची बनी है।जिन्होंने बकायदा अपने कागजात कंपनी के पास जमा किए।इनमें से पहले तो 32 लोगों को ही नौकरी देने की बात हुई ।लेकिन सहमति न बनने और प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद 22 अगस्त तक प्रभावितों की मांगों को हर हाल में पूरा करने की बात प्रबंधन ने लिखित में दी है।बहरहाल 22 तारीख तक दिए गए अल्टिमेटम के बाद भले ही आंदोलन अस्थाई तौर पर वापस ले लिया गया है।यदि इस बार भी कम्पनी वायदाखिलाफी करती है तो आक्रोशित ग्रामीणों का रवैया आने वाले दिनों में बेहद खतरनाक हो सकता है।

कांग्रेस और भाजपा का साथ

क्षेत्रीय विधायक उमेश पटेल और जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि रविन्द्र गबेल ने आंदोलनकारियों को अपना समर्थन दिया है।बकायदा उन्होंने धरना मंच पर आकर हर मोर्चे सहयोग का एलान कर दिया है।बहरहाल भाजपा और कांग्रेस के समर्थन के बाद वायदा पूरा करने का काफी दबाव कंपनी पर बढ़ गया है।

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