बदलता छत्तीसगढ़।रायगढ़
पंचायत सचिवो की मनमानी और अनियमितिताओ ने खरसिया विकासखण्ड के पंचायतों का बेड़ा गर्क कर रख दिया है। गांवों के विकास के नाम पर सरकार करोड़ो रूपये भेज रही है,लेकिन सरकारी फंड को गांवों में पहुचने से पहले सचिव ब्रेकर बनकर सामने आ रहे है। ग्राम पंचायत बिलासपुर का मामला कुछ ऐसा ही है। पांच साल पहले गांव के विकास के लिए मुक्तिधाम आंगनबाड़ी के साथ साथ तालाब सौन्द्रीयकरण के नाम पर लाखों रुपये की राशि स्वीकृत हुई। सचिव द्वारा तमाम निर्माण कार्यो की राशि का आहरण तो त्वरित रूप से कर लिया गया,मगर जब निर्माण की बारी आई तो ग्रामीणों को ठेंगा दिखा दिया गया। यही वजह है कि उपरोक्त निर्माण कार्य पिछले 5 सालों से आधे अधूरे है। इधर सचिव ने लगातार बढ़ रही शिकायतों और ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए गांव आना ही बंद कर दिया है।
सचिव सुरेंद्र साहू का नाम बदनाम
गांवों में निर्माण कार्य की लेटलतीफी और पैसा आहरण करने के मामले में पंचायत सचिव सुरेंद्र साहू का कोई सानी नही है। बावजूद उसके उसे एक साथ दो से तीन गांवों का प्रभार दे दिया जाता है।। इस बार भी पंडरीपानी और बिलासपुर गांव का प्रभार मिला हुआ है। सीईओ जनपद से बदनाम शुदा सचिव का हटाने कई बार ग्रामीणों ने शिकायत की पाती सौंपी।बावजुद इसके सचिव सुरेंद्र साहू का पैर अंगद की तरह जमा हुआ है।