Sunday, September 15, 2024
Home शिक्षा एवरीथिंग इज मैनेजमेंट का फार्मूला लागू…बांग्लादेशियों औऱ मुर्शिदाबाद के कबाडियों का गढ़ बनता जा रहा रायगढ़…न आधार कार्ड न कोई पहचान पत्र फिर भी कोई फिक्र नही…मुन्ना पंडित,जुम्मन शेख और नाज़िम इनके सबसे बड़े रहनुमा….पुलिस को नही कोई दिलचस्पी…बरत रही मेहरबानी…कबाडियों का जिले के गांवों में है सीधा कनेक्शन…फेरी लगाने के नाम पर हर घर की हो रही रैकी….कभी भी बड़ी वारदात को दे सकते है अंजाम…..

एवरीथिंग इज मैनेजमेंट का फार्मूला लागू…बांग्लादेशियों औऱ मुर्शिदाबाद के कबाडियों का गढ़ बनता जा रहा रायगढ़…न आधार कार्ड न कोई पहचान पत्र फिर भी कोई फिक्र नही…मुन्ना पंडित,जुम्मन शेख और नाज़िम इनके सबसे बड़े रहनुमा….पुलिस को नही कोई दिलचस्पी…बरत रही मेहरबानी…कबाडियों का जिले के गांवों में है सीधा कनेक्शन…फेरी लगाने के नाम पर हर घर की हो रही रैकी….कभी भी बड़ी वारदात को दे सकते है अंजाम…..

by Surendra Chauhan

रायगढ़/ क्या आप अर्लट नही है। आपकी लापरवाही भारी पड़ सकती है। कभी भी बड़ी वारदात घट सकती है। दरअसल जिले में बांग्लादेशी और मुर्शिदाबाद के वाशिंदे काफी अधिक संख्या में मौजूद है। वे रोजाना कबाडियों की शक्ल में मोपेड़ में सवार होकर अलग अलग गांवों में फेरीं लगाने के नाम पर पहुंच रहे है। इन्हें पहचान के लिए कोई आधार कार्ड या पहचान पत्र दिखाने की कोई जरूरत नही। सिर्फ कबाडियों का नाम ही काफी है।सबसे खास बात तो यह है कि इनकी कारगुजारियों से संबंधित थाना क्षेत्रों की पुलिस पूरी तरह से वाकिफ है।फिर भी न तो चेकिंग करना जरूरी समझ रही है और न कोई कार्रवाई।नतीजतन लगातार इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है।

इंडस्ट्रीयल हब के रूप में करवट बदलते ही रायगढ़ कबाडियों का सबसे मनपसंद जिले के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है। ये कभी बंद पड़े कारखानों को निशाना बना रहे है तो कभी सुने मकानों को। ये लगातार खतरनाक बनते जा रहे है। पुलिसिया जांच में कई दफे मामला उजागर भी हो चुका है। बावजूद उसके रोका टोकी तो दूर की कौड़ी है। बताया जाता है कि बांग्लादेश से सटे मुर्शिदाबाद के लोगों को जिले में आसरा मुन्ना पंडित,जुम्मन शेख और नाजिम जैसे नामचीन कबाडियों द्वारा दिया गया है। बाहर से आने वाले इन लोगों को गांवों में फेरी लगाने के लिए मोपेड और पैसे की पूरी व्यवस्था इन्ही के जिम्मे है।

सायकल से मोपेड तक का सफर

एक समय था जब गांवों या शहरी इलाकों में फेरी लगाने के लिए इन्हें सायकल का ही सहारा ही था। लेकिन अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। सायकल की जगह अब इनकी सवारी मोपेड हो चुकी है। मोपेड के जरिये हर गांवों में सुबह पांच बजते ही पहुचने वाले कबाडियों की सीधी पहुंच गांवों की हर गलियों से लेकर हरेक घरों तक है।

कमीशन का खेल

मुन्ना कबाड़ी के हाईप्रोफाइल होने के बाद जिस तरह मुन्ना पंडित,जुम्मन शेख और नाज़िम जैसे नामचीन कबाडियों ने कबाड़ की सल्तनत में अपने पांव पसारे है तब से लगातार इनकी दिन दुगुनी रात चौगुनी होती जा रही है। एवरीथिंग इज मैनेजमेंट फार्मूला के तहत काम करने वाले इन कबाडियों को रोकने की जहमत अब तक किसी ने नही की है।यही वजह है कि कबाड़ के धंधे को और अधिक बढ़ाने ये बंगलादेश और मुर्शिदाबाद के लोगों को फेरी वाले बनाकर जिले में उतार रहे है। मोटा कमीशन और अधिक अधिक पैसा इन्हें आकर्षित कर रहा है।इसलिए तमाम जोखिम होने के बाद भी इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

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