दरिद्र नारायण देवता के रूप में भी होती है उनकी पूजा
रायगढ़। रायगढ़ की रियासत कालीन परंपरा के अनुसार आज तृतीया के दिन राजमहल प्रांगण से रथयात्रा शुरू की गई। रथ यात्रा के दौरान भगवान श्री के दर्शन के लिये सड़क के दोनों तरफ जैसे पूरा शहर ही उमड़ पड़ा है। रथयात्रा चांदनी चैक, गांजा चैक, सदर बाजार, हटरी चैक, थाना रोड़ होते हुए घड़ी चैक पर आकर संपन्न हुई। जहां भगवान श्री के विगृहों को उनके गुडिचा मौसी के घर पहुंचाकर विराजमान कराया गया।
विश्व प्रसिद्व जगन्नाथ पूरी की रथयात्रा की तर्ज पर रायगढ़ में भी विगत कई दशकों से रथयात्रा का आयोजन संपूर्ण आस्था और पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता रहा है। रायगढ़ में राजापारा स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर से उत्कल सांस्कृतिक सेवा समिति के द्वारा प्रमुख रूप से रथ यात्रा का आयोजन होता आया है। इसी तरह से चांदनी चैक से चांदनी चैक स्पोटिंग क्लब, सोनारपारा से प्रगति कला मंदिर तथा गांजा चैक से रथ यात्रा निकालने की परंपरा रही है। पिछले पखवाड़े भर से लगातार इसकी तैयारी चल रही थी और आयोजन स्थलों को पिछले दो दिनों से दिन से लेकर रात तक गहमा-गहमी का माहौल रहा। रायगढ़ की रथोत्सव परंपरा के अनुरूप भगवान श्री जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ पर आरूढ कराने के बाद आज शाम आषाढ शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन यह रथ यात्रा का आगज हुआ। रथयात्रा अपने पारंपरिक मार्ग से होते हुए रामलीला मैदान पहुंची तथा वहां से भगवान श्री के विगृहांे को विधि विधान से पूजा अर्चना पश्चात उनके गुंडिचा मौसी के घर पहुंचाकर विश्राम कराया गया।